Tuesday 31 March 2020

देख के आता है ज़िंदगी को रोना


ये सब लौट चले
गठरी उठाये ये बेसहारे
इनको पुकारे गलियाँ चौबारा
ये सब लौट चले ....

कठिन है लम्बी राह भूखे चलना
देख के आता है ज़िंदगी को रोना
कोई ये भी जाने न जाने
नहीं है आसाँ साँसों का सँभलना
ये सब लौट चले ....

जान इनकी दाँव पर है
आँखों में आँसुओं का
रोता समँदर है
रोजी रोटी छुड़ाये शहर पराये
हाथ फैलाये इन्हें गाँव जाना है
इनका गाँव फिर इनका गाँव है
ये सब लौट चले ....

@दिनेश ठक्कर बापा
(फोटो : सोशल मीडिया से साभार)

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